Shree Hari Stotram ji ki Arti
जगज्जाल पालम् कचत् कण्ठमालं शरच्चन्द्र भालं महादैत्य कालम्। नभो-नीलकायम् दुरावारमायम् सुपद्मा सहायं भजेऽहं भजेऽहं।1। सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्हासं जगत्सन्निवासं शतादित्यभासम्। गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीत-वस्त्रं हसच्चारु-वक्रं भजेऽहं भजेऽहं।2। रमाकण्ठहारं श्रुतिवातसारं जलान्तर्विहारं धराभारहारम्। चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं धृतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं।3। जराजन्महीनम् परानन्द पीनम् समाधान लीनं सदैवानवीनम्। जगज्जन्म हेतुं सुरानीककेतुम् त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं।4। कृताम्नाय गानम् खगाधीशयानं विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानम्। स्वभक्तानुकूलम् जगद्दृक्षमूलम् […]