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The Encyclopedia of Sanatan.

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Shri Ram ji Bhajan

Shri Ram ji Bhajan

**श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन**

 

 श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन, हरण भव भय दारुणम्।  

नवकंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्॥  

 

कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील-नीरद सुंदरम्।  

 पट पीत मानहु तड़ित रुचि, शुचि नोमि जनक सुतावरम्॥  

 

भजु दीनबंधु, दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।  

 रघुनंद आनंदकंद कोसल चंद्र दशरथ नंदनम्॥  

 

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन, हरण भव भय दारुणम्।  

 नवकंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्॥  

 

सुषमा अनूपम शीलम, मूदित मादव कौशल्या जीवनम्।  

कातर ममता के कारण, करूणा निकेतन, भूधरम्॥  

 

 श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन, हरण भव भय दारुणम्।  

नवकंज लोचन, कंज मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्॥  

 

मेरी झोपड़ी के बाग़ में आए राम जी

मेरी झोपड़ी के बाग़ में आए राम जी,
मेरी झोपड़ी के बाग़ में आए राम जी।

चलकर आयो मेरे भाग्य जगाए राम जी,
मेरी झोपड़ी के बाग़ में आए राम जी।

मुखड़ा:

छोड़ महलों की नगरी आए, मेरे द्वारे राम जी,
मेरी झोपड़ी के बाग़ में आए राम जी।

छोड़ महलों की नगरी आए, मेरे द्वारे राम जी,
मेरी झोपड़ी के बाग़ में आए राम जी।

अंतरा:

रंग-बिरंगी फुलवारी सजी, मेरे आंगन में,
खुशियों की बरसात हुई मेरे जीवन में।

सपने साकार हुए, अब तो खुश हूं राम जी,
मेरी झोपड़ी के बाग़ में आए राम जी।

चलकर आयो मेरे भाग्य जगाए राम जी,
मेरी झोपड़ी के बाग़ में आए राम जी।

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